हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, मुबारकपुर, आजमगढ़ (उत्तर प्रदेश) / कोई अच्छा बुरा नहीं, कोई भी अच्छी या बुरी घटना एक ही बार में नहीं होती है लेकिन इसके पीछे एक या अधिक कारण होते हैं और कारक और उद्देश्य होते हैं किसी अच्छी या बुरी घटना की प्रशंसा या निंदा करने से ज्यादा, इस घटना के लिए कारक और मकसद हैं।
जिनके पास दूरदृष्टि और अंतर्दृष्टि है, उनके लिए घटना के कारणों और कारकों के बारे में सोचना अधिक महत्वपूर्ण है। फोड़े फुनसी पर मरहम पट्टी और दवाई लगाने के साथ साथ बेहतर है कि रक्त की जांच हो और रक्त मे पाई जाने वाली खराबी का उपचार शुरू किया जाना चाहिए। हदीस में यह भी कहा गया है कि जो लोग अच्छे कामों की ओर झुकाव रखते हैं उन्हें वही इनाम मिलेगा जो अच्छे कामों के करने वालो को मिलता हैं। फिर जाहिर है इसके विपरीत बुरे कामो और शिर्क की ओर झुकाव रखने वालो को भी भी वही सजा मिलनी चाहिए जो इस प्रकार के काम करने वालो को मिलती है। समाज समय की सबसे महत्वपूर्ण जरूरत है, हर मामले में दूरदर्शिता जरूरी है।
ये विचार हसन इस्लामिक रिसर्च सेंटर अमलो, मुबारकपुर के संस्थापक और संरक्षक मौलाना इब्न हसन अमलवी, बाबुल इल्म मुबारकपुर के प्राचार्य मौलाना मजाहिर हुसैन मोहम्मदी, जामिया हैदरया के प्रमुख मौलाना नाज़िम अली द्वारा व्यक्त किए गए थे। जामिया इमाम मेहदी आजमगढ़ के प्रिसिपल मौलाना सैयद सुल्तान हुसैन , जामिया इमाम जाफर सादिक जौनपुर के प्रधानाचार्य मौलाना सैयद सफदर हुसैन जैदी , शाह मुहम्मदपुर मुबारकपुर के इमामे जुमआ वल जमाअत मौलाना इरफान अब्बास , मौलाना सैयद हुसैन जफर वहाब सैयद मोहम्मदाबाद गोआत, जामिया इमाम मेहदी आजमगढ़ के अध्यापक मौलाना सैयद मोहम्मद मेहदी , मदरसा बाब-उल-आलम मुबारकपुर के शिक्षक मौलाना मोहम्मद मेहदी हुसैनी, और मौलाना कर्रार हुसैन अजहरी, अल यासीन वेलफेयर एंड एजुकेशनल ट्रस्ट के अध्यक्ष मौलाना डॉ. मुजफ्फर सुल्तान तुराबी, उल-कलम वेलफेयर एंड एजुकेशनल ट्रस्ट मुबारकपुर के अध्यक्ष मौलाना गुलाम पंजतान मुबारकपुरी, , मौलाना आरिफ हुसैन मुबारकपुरी, मौलाना जावेद हुसैन नजफी मुबारकपुरी, मदरसा हुसैनिया बड़ा गांव घोसी माओ के प्रबंधक मौलाना काजिम हुसैन, एलिया रिसर्च मिशन मुबारकपुर के संरक्षक मौलाना मुहम्मद रजा, मौलाना अकबर अली वैज जलाल पुरी इमाम जुमा और जमात मीरानपुर अकबरपुर मौलाना लाना मेहदी हसन वैज जलाल पुरी, मौलाना रईस हैदर वाइज़ जलाल पुरी, अखिल भारतीय शिया समाज के महासचिव मौलाना सैयद इतरत हुसैन वाइज़ आज़मी, जामिया नाज़िमिया लखनऊ के शिक्षक ने शापित शकील अहमद द्वारा अभिमानी इमाम मेहदी के अपमान मे एक और हालिया वीडियो जिसमे क्षमा मांगने के बजाए मज़ीद तोहमत लगाई है जवाब में एक संक्षिप्त संयुक्त बयान में कहा।
बयान में आगे कहा गया है कि मुस्लिम समाज के भीतर धर्मत्याग का खतरनाक अमानवीय वायरस सलमान रुश्दी और तसलीमा नसरीन और हाल ही में पूर्व वसीम रिजवी के बाद जतिंदर नारायण सिंह त्यागी की तरह बहुत गुप्त है। एक धर्मनिरपेक्ष देश में जहां संविधान के अनुसार धार्मिक स्वतंत्रता का अभ्यास किया जाता है देश और राष्ट्र और समाज में बढ़ती धर्मत्यागी प्रवृत्तियों और गंभीर खतरों को देखते हुए संविधान के अनुसार तक्वा नहीं, ताकवा का अभ्यास करने की तत्काल आवश्यकता है। छोटे और बड़े पापों से स्वयं को सुरक्षित बनाना सभी का उद्देश्य कर्तव्य है और फिर देश और राष्ट्र के निर्माण और विकास के लिए अच्छाई को शामिल करने और बुराई को रोकने का कर्तव्य निभाना है।
यह भी एक कड़वा सच है कि हमने कर्मकांडी इस्लाम का पुरजोर समर्थन किया है। हम अपने घर और परिवार को इस्लामी रीति-रिवाजों तक सीमित नहीं रख पाए हैं। यह अजीब है। हमें एक होना चाहिए और वैज्ञानिक और व्यावहारिक सेवाओं को सस्ता बनाना चाहिए ताकि लोगों को धर्मत्याग की भावना से बचाया जा सके।
हज़रत रसूलुल्लाह (स.अ.व.व.) की हदीस है:
’’إِذَا ظَهَرَتِ الْبِدَعُ فِي أُمَّتِي فَعَلَى الْعَالِمِ أَنْ يُظْهِرَ عَلِمَهُ، فَإِنْ لَمْ يَفْعَلْ فَعَلَيْهِ لَعْنَةُ اللَّهِ وَالْمَلائِكَةِ وَالنَّاسِ أَجْمَعِينَ، لا يُقْبَلُ مِنْهُ صَرْفٌ وَلا عَدْل‘‘
जब समाज मे बिदअते सर उठाने लगें जो विद्वान को चाहिए कि अपने ज्ञान का प्रदर्शन करते हुए उनको कुचल दे। यदि ऐसा नही किया तो अल्लाह और उसके फरिशते और तमाम मनुष्य की उस पर लानत होगी।